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मेने देखा है

मेने देखा उसकी आँखों का काजल फिर रुख़सारों का चमकना भी देखा है मेने देखा है उस फूल को खिलते हुए फिर उसका महकना भी देखा है मेने देखा है उसको दिल की नज़रों से फिर दिल का मचलना भी देखा है मेने देखा है मेरे यार को हस्ते हुए फिर बारिश का मेने बरसना भी देखा है मेने देखा है उसकी पेशानी पे गुस्से की लहरों को वेसे तो मैने दरिया भी देखा है मेने देखा है सुकूँ है बस उसकी बाहों में करके तो मेने सजदा भी देखा है मेने देखा है सारी उम्र बस उसी को ओर लगता है सारा जहां देखा है।

मजनूं की तकदीर

में मोहब्बत के उसूल बदलूंगा बिछड़ने का दस्तूर बदलूंगा बराबरी से पत्थर पड़ेंगे लैला को भी में मजनूं की तकदीर बदलूंगा

Zamane ki hakikat

ज़मानें की हकीकत से हकीकतन अनजान हूँ में कोई बसेरा नही मुझमें एक शहर वीरान हूँ में कुछ यादें कुछ रिश्ते दफन हें मुझमें चलता फिरता कब्रिस्तान हूँ में खुशियां देकर गम चुरा लेता हूँ अजनबियों को भी हमराज़ बना लेता हूँ फिर भी इल्ज़ाम लगे हें बेईमान हु में सांसे चल रही हें अब तो रस्मन अनस वेसे दिल से तो बेजान हूँ में तन्हाईयों में घिर कर पत्थर हो गया हूं पहले कभी लगता था इंसान हु में ज़माने की हकीकत से हकीकतन अनजान हूँ में

तेरी खामोशी

कुछ रोज़ से मैंने अपना सफर रोक रखा है सब सामान बाँध लिया बिस्तर रोक रखा है तेरे बुलाने पर छोड़ आऊँ में दुनिया दारी बस तेरी खामोशी ने ही मुझे घर रोक रखा है

शोक ए ज़िन्दगी

गमों पर ग़लबा खुशी को नही होता ईश्क़ भी तो हासिल हर किसी को नही होता किसी को वजह मिल गयी कोई मजबूरियों में जी राहा है शोक ए ज़िन्दगी सभी को नही होता।

माँ

घर के किसी कोने में रौनक नही मिलेगी ज़माने भर में ये मोहब्बत नही मिलेगी एक माँ ही है जो कलेजा निकल कर रखदेगी तुम्हारे लिए ओर किसी में ये सदाकत नही मिलेगी इसकी दुआओं का असर है कामयाबी तुम्हारी किसी तावीज़ से ये बरकत नही मिलेगी दिल मत दुखाना कभी अपनी माँ का दोस्तों ये गर रूठ गयी तो इबादतों से भी जन्नत नही मिलेगी।

तेरी यादें

बाल बिखरे हुए हैं मेरे ओर दाढ़ी भी बढ़ गयी है मोहब्बत में हालात बोहोत बिगड़ गई है अब तो शराब भी सहारा नही बनती भुलाने मैं तुझे तेरी यादें मेरी शराब पर चढ़ गई है